नृयज्ञ

नृ-यज्ञ अपने स्वार्थ की संकीर्णता को विशाल परार्थता में परिणति करने के लिए अपरिचित अयाचित अभ्यागतों की, देव और ईश्वर मानकर सेवा, अर्चन, भोजन, शयन, आदर और स्वागत वाणी से सत्कार करना ही नृ-यज्ञ है ।

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