एक साथ उच्चार करे, हम ऐसा व्यवहार करे
एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥
आज नही प्राचीन समय से, मन्त्र हमारा साथी
दुर दुर तक फैलायी थी, आर्य धर्म की ख्याती
काल चक्र जब घूम पडा तब, लक्ष्य हुआ था ओझल
जाग उठी है दृष्ठि हमारी, रही नही अब ओझल
दिव्य दृश्य सन्देश स्मरे, हम ऐसा व्यवहार करे
एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥
वेद और उपनिषद सिखाते, क्या कर्तव्य हमारा
राम कथा गीता सिखलाती, जो गन्तव्य हमारा
मिले विश्व मे दुर दुर तक, संस्कृति के बिखरे अवशेष
करते प्रेरित करो पुन: तुम बिखरित जागृति के सन्देश
पूजन से अवकाश भरे, हम ऐसा व्यवहार करे
एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥
अखिल विश्व मे एक बार फिर उन्नत ध्वज भगवा डोले
अखिल विश्व मे एक बार फिर आर्य धर्म की जय बोले
वेदों के अनुशीलन से हम अविष्कार नित नये करे
दुनिया का मानव भारत का आराधन और नमन करे
जग अपना उद्धार करे, हम ऐसा व्यवहार करे
एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥
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