नमामो वयं मातृभू पुण्य भुस्त्वाम
त्वया वर्धिता संस्कृता स्वत सुता:
अये वत्सले मंगले हिन्दू भूमे
स्वयं जीवितान्य प्रयामत्सवयी
नमो विश्व शक्त्यी नमस्ते नमस्ते
त्वया निर्मितम हिन्दू राष्ट्रं महत
प्रसादा तवई वार्त सज्जा समेत्य
समालम्बी तुम दिव्य मार्गं वयं
समुनामितन येन राश्त्रनाएतत
पुरो यस्य नम्रम समग्रं जगत
तदा दर्श युक्तं पवित्रं सतित्वं
प्रियाभ्य सुताभ्य परियछाम्ब्ते
समुत्पाद्यास्मासु शक्तिम सुदिव्याम
दुराचार्य दुर्वृति विध्वंसिनिम
पितापुत्रभ्रातिश्च्भर्ता रमेवं
स्वधर्मे प्रति प्रेर्यंतीमीह
सुशीला सुधीरा समर्था समेत्य
स्वधर्मे स्वमार्गे परम श्रद्धया
वयं भावी तेजस्वी राष्ट्रस्य धन्या
जनन्यो भवेमेति दहिया शीशम
भारत माता की जय I
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